उम्मीद करता हूँ गणेश जोशी कृषि मंत्री उत्तराखंड चकबन्दी पर कोई ठोस समाधान निकालेंगे : हरीश रावत
सोशल मीडिया में सदैव सक्रीय रहकर अपनी सामाजिक और राजनैतिक सक्रियता दर्ज़ करने में प्रवीण उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत शायद ही कोई दिन छोड़ते होंगे जब वे नित्य नए मुद्दे ढूंढकर उत्तराखंड की भाजपा सरकार पर वार न करते हों. हालांकि उनकी भाषा और पोस्ट्स में डिप्लोमेसी का भी पुठ होता है क्योंकि वे अपने विरोधियों की थोड़ी बहुत प्रसंशा भी कर देते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस बात का विशेष ख्याल रखते हैं की यदि मौजूदा उत्तराखंड सर्कार कोई निर्णय लेती, वे इस निर्णय के सन्दर्भ में अपनी सरकार के कार्यकाल के दौरान की गयी पहल को याद दिलाना नहीं भूलते . उनकी भरसक कोशिश होती है की नए सरकारी फैसलों में उनके मुख्यमंत्री रहते हुए इनकी जो शुरुआत की गयी और लागू नहीं किये जा सके पहाड़ की जनता जाने की ये फैसले दरअसल उनकी सरकार के समय लिए गए थे और अब उन्हें आगे बढ़ाया जा रहा है , यानी इसका श्रेय उनकी सरकार को भी उतना ही जाता है जितनी की इस सरकार को. चकबंदी के विषय में उत्तराखंड सरकार के कृषि मंत्री गणेश जोशी को हरीश रावत ने आज बधाई जरूर दी इस साहसपूर्ण घोषणा पर लेकिन उन्हें शक्तिमान घोड़े की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए अपनी घोर नाराजगी भी दर्ज की. लेकिन इसके पश्चात रावतजी ने चकबन्दी पर उनकी सरकार द्वारा २०१६ में चकबंदी क़ानून बनाने का श्रेय लेते हुई अपनी पीठ थपथपाई और स्पष्ट तौर पर कहा की यदि भाजपा सरकार चकबंदी का कोई सर्वमान्य ठोस समाधान निकालती है तो मैं कृषि मंत्री गणेश जोशी को हार्दिक बधाई दूंगा . उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा : #शक्तिमान घोड़े की टांग टूटना, फिर उसकी मौत के कारण मैं, श्री Ganesh Joshi जी से बहुत नाराज हूं। यदि आप कोई बड़ा पुण्य का काम करते हैं तो पाप माफ भी होते हैं। राज्य में अनिवार्य चकबंदी की उनकी घोषणा एक साहसपूर्ण नीतिगत निर्णय है। वह ऐसा कर सकें, मेरी कामना है। हमारी सरकार 2016 में पर्वतीय चकबंदी का कानून बना करके गई है, नियमावली भी तैयार की है। हमारी सरकार ने क्लस्टर बेस्ड एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए पारस्परिक तौर पर जमीनों की अदला-बदली और लीजिंग की पॉलिसी बनाकर के भी रखी है। हमने जमीनों के जो अनेक प्रकार के वर्गीकरण थे, जो राज्य की कृषि में बड़े बाधक थे, उन वर्गीकरणों को भी हमने लगभग समाप्त किया है। भूमिहीनों को भूमि के अधिकार का निर्णय भी हमारी सरकार ने किया व उसको लागू किया। हमारी सरकार ने भूमि सुधार को एक एजेंडे के रूप में आगे बढ़ाने का निर्णय लिया, लेकिन समय की कमी के कारण हम भूमि का नया बंदोबस्त नहीं कर पाए और चकबंदी क्रियान्वित नहीं हो पाई जबकि हमने चकबंदी का कैडर भी बनाया और रैवन्यू कैडर को भी सशक्त किया, पटवारी भर्ती आदि से लेकर के कानूनगो, नायब तहसीलदारों आदि के पदोन्नति के मामलों को भी सेटल किया, तो जमीन का नया बंदोबस्त और अनिवार्य चकबंदी, यह दो बड़ी चुनौती पूर्ण समस्याएं राज्य के सम्मुख हैं। यदि वर्तमान सरकार इसका समाधान निकालती है तो मैं उन्हें दूँ, मंत्री जी को बधाई दूंगा.