उद्वेलित हैं उत्तराखंड की जनता और अनामिका के माता पिता. माँ ने की दो अप्रेल को जंतर मंतर पहुँचने की अपील

उत्तराखंड और देश की बेटी किरण नेगी के दुर्दांत मामले में आज पूरा उत्तराखंड बुरी तरह उद्वेलित है . पूरा राष्ट्र माननीय उच्चतम न्यायलय के प्रति हमेशा नतमस्तक है और रहेगा लेकिन हाल ही में उत्तराखंड और देश की बेटी के मामले में न्याय की गुहार के लिए दायर तीन याचिकाओं के रद्द होने के बाद उनके पहले से ही दुखी माता पिता और बेटी के लिए न्याय की गुहार कर रहे हज़ारों हज़ार लोग बेहद उद्वेलित हैं . पिछले ग्यारह वर्षों से निरंतर संघर्ष कर रहे गरीब माता पिता जिन्होंने अपनी १९ साल की बेटी को खोया है , इस फैसले से हैरान परेशान हैं. सभी को उम्मीद थी कि ७ नवंबर २०२२ के माननीय उच्चत्तम न्यायलय की थ्री जज बेंच के निर्णय के विरुद्ध दायर की गयी तीन रिव्यु पिटीशंस से शायद पीड़ित परिवार को कुछ राहत मिलेगी लेकिन दो दिन पूर्व इनके रद्द किये जाने के बाद उनकी सभी उम्मीदों पर मानो पानी फिर गया. जब नवम्बर २०२२ को स्वर्गीय किरण नेगी का केस टर्न डाउन किया माननीय पूर्व मुख्यन्यायाधीश यु यु ललित की बेंच ने उसमे ये कहा गया था की चूँकि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में उचित साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किये इसलिए इस केस के तीनो दुर्दांत कातिलों को बाइज्जत बरी किया जा रहा है जिसके स्पष्ट मायने ये रहे कि इन्होने उत्तराखंड और देश की बेटी के साथ न तो गेंग रेप किया है और ना ही उनका जघन्य मर्डर . अगर ऐसा है तो सवाल ये उठता है कि किरण नेगी के साथ किसने घृणित कुकृत्य और दुर्दांत हत्या की ?

ये पूरी व्यवस्था पर न सिर्फ एक जबरदस्त सवालिया निशान है बल्कि जनता के मुताबिक जुडिशरी पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े करती है. सवाल है कि अगर ये तीन अभियुक्त कातिल नहीं हैं तो असली कातिल और बलात्कारी कौन हैं ? दिल्ली और देश की जनता भली भाँती जानती है कि २०१२ में वसंत विहार की रनिंग बस में गैंग रेप और दुर्दांत तरीके से मारी गयी निर्भया के दोषियों को फांसी के तख्ते पर चढ़ा दिया गया लेकिन इस जघन्य दुर्दांत काण्ड से कुछ महीने पहले घटित नजफगढ़ की निर्भया के तीन बलात्कारी और खुनी छूट जाते हैं सबसे बड़ी अदालत से.

कितनी अजीब और दुखद बात है. गौर तलब है कि १९ वर्षीय नजफगढ़ की निर्भया की फरवरी माह २०२२ में क़ुतुब विहार नजफगढ़ से लाल इंडिका कार में अपहरण कर लिया गया था और रोंढाई गाओं हरयाणा में न सिर्फ उनका गेंग रेप किया गया बल्कि उन्हें जघन्य तरीके से मार दिया गया. उनका मृत शरीर तीन दिन बाद मिला.

क़ुतुब विहार और दिल्ली की जनता ने संजीवनी गैर सरकारी संस्था के बेनर तले इस मांग को जोर शोर से उठाया गया और २०१४ में द्वारका सेशंस कोर्ट ने अभ्युक्तों को फांसी की सजा दी जिसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा.लेकिन २०२२ में तीनो अभियुक्तों को बरी कर दिया गया जिनमे से एक विनोद ने पुनः २६ जनवरी एक और क़त्ल कर दिया. अब कुंठित परिवार के पास दो उम्मीदें बची हैं (१) सुप्रेमेली कोर्ट में क्यूरेटिव पेटिशन फाइल करने की और दूसरी भारत के महामहिम राष्ट्रपति महोदया से न्याय की गुहार करने की .

मातृभूमि सेवा पार्टी के कमल ध्यानी के मुताबिक राहुल की लोकसभा सीट जाने से नही – किरण नेगी
को न्याय नही मिलने से और बलात्कारियों, हत्यारों के बाइज्जत बरी होने से लोकतंत्र शर्मसार हुआ है पहाड़ियों ।।

इसी बीच स्वर्गीय किरण नेगी की माँ ने एक वीडियो जारी कर सभी से अपील की है की वे २ अप्रैल को अधिक संख्या में जंतर मंतर पहुँच कर उनकी बेटी की आत्मा की शांति के लिए अपनी जोरदार भागीदारी निभाएं खासकर महिलाएँ .

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