उत्तराखंड से पलायन के अहम् मुद्दे पर बनी है गढ़वाली फिल्म “मेरु गाँव”
7 और 8 मई, 2022 दिल्ली के गढ़वाल भवन में गंगोत्री फ़िल्म्स की बहु प्रतीक्षित फीचर फिल्म “मेरु गौं” (प्रतिदिन 2 शो) का खचा-खच भरे हॉल में भव्य प्रदर्शन किया गया।
एक हरे भरे गांव का भूतकाल कैसा था और अब उसकी क्या दशा है। कौन है जिम्मेवार?
फिल्म मेरू गौं के लेखक ने सिस्टम को गहरी नींद से जगाने का प्रयास किया है। इस फिल्म में ज्वालामुखी से ज्वलन्त मुद्दों, जमीन की कोख तक जड़ पा चुके सवालों, नाभि से गले तक उबर आई असमंजसताओं, अपनी धरती से मुंह मोड़ चुके पर्वत पुत्रों और किसी सरकारी अस्पताल में वेन्टीलेटर पर पड़े सिस्टम को झिंझोड़कर उठाने की कोशिश की गई है।
ये फिल्म पलायन के अहं मुद्दे पर बनी है । इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे कोई आदमी अपने गाँव को बचाने के लिए अपनी नौकरी को छोड़कर गाँव में वापस लौट आता है। गाँव की खुशहाली में भरपूर योगदान वदेता है। लेकिन धीरे-धीरे बिना साधनों के गाँव में गुजर बसर करना दुष्कर होने लगता है फिर भी वह गांव में रह गए लोगों को गाँव में रहने के लाए प्रोत्साहित करता है। लेकिन दूसरी ओर फिल्म यह सवाल खड़ा करती है कि क्या बिना स्वास्थ्य, शिक्षा व रोज़गार जैसी मूलभूत सुविधाओं के गाँवों में ही रहना तर्कसंगत है?
दूसरी ओर जंगली जानवरों के द्वारा फसल की बर्बादी उनके आर्थिक सहारे को भी नष्ट कर रही है। सरकारों के अनियोजित कार्यक्रम गाँवो को कोई भी लाभ पहुंचने में ढकोसला साबित हुए हैं। फिल्म में कहा गया है कि राज्य का विकास राजा की साफ नियत व कार्यकुशलता से होता है ना कि राजधानियों से।
फिल्म की कहानी, पटकथा, संवाद, गीत, संगीत, अभिनय, वेषभूषा आदि सब कुछ पहाड़ के सच्चे दर्द को उजागर करती हैं। फिल्मकार ने अपने काम में पूरी ईमानदारी बरती है और अपने कला धर्म को बख़ूबी निभाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी की है।
गंगोत्री फिल्म की फिल्म मेरू गौं का लेखन व निर्देशन सुप्रसिद्ध निर्देशक श्री अनुज जोशी ने किया है और इसके निर्माता हैं राकेश गौड़ व कृष्णा गौड़ | फिल्म के गीत नरेन्द्र सिंह नेगी व जीतेन्द्र पंवार ने गाए हैं और गीतों का लेखन जीतेन्द्र पंवार ने किया है। सिनेमेटोग्राफर हैं राजेश रतूड़ी।
इस फिल्म में अभिनय कर रहे हैं राकेश गौड़, सुमन गौड़, रमेश ठंगरियाळ, डॉ.सतीश कलेश्वरी, मदन मोहन डुकलान, अजय सिंह बिष्ट, गिरधारी रावत, सुशीला रावत, खुशहाल सिंह बिष्ट, गीता उनियाळ, विकास उनियाल, रमेश रावत, गोकुल पंवार, गीता गुसांई नेगी, विभोर सकलानी, गंभीर जयाड़ा, लक्ष्मी रावत पटेल, कुसुम बिष्ट गिरीश पहाड़ी,आदि व अन्य कलाकारों के साथ कुछ बाल कलाकार।