उत्तराखंड विभाग से निवेदन :१०८ बीमार एम्बुलेंस को चुस्त दुरुस्त बनायें

हफ्ता भर पहले 28 फरवरी को एक दुर्घटना जोशीमठ से थैंग गांव जाने वाली सड़क पर हुई थी ।जिसमें दो लोगों की मृत्यु हो गयी ।
दुर्घटना की सूचना पर जो 108 एम्बुलेंस भेजी गयी वह एक खटारा एम्बुलेंस थी । जिसका पुर्जा पुर्जा हिला हुआ था । सो वह कुछ दूरी पर जाकर चाईं गांव की चढ़ाई पर दम घुट कर रुक गयी । तब हताहतों को लाने दूसरी एम्बुलेंस का इंतजाम किया गया । कुछ घायल अन्यान्य वाहनों से सामुदायिक अस्पताल जोशीमठ / रेफर सेंटर ( प्रसिद्ध नाम ) लाए गये ।
दुर्घटना के घायल शायद कुछ इलाज पा बेहतर हुए हों किन्तु , बगैर दुर्घटना के घायल एम्बुलेंस अभी भी बीमार है ।
जोशीमठ जैसे नगर के लिये जिस के जिम्मे 58 ग्रामसभाओं और एक पूरे नगर की स्वास्थ्य सेवा का भार है उसके हिस्से ऐसी खटारा एम्बुलेंस दे दी गयी ।
कल साँय भी नगर के नजदीक एक दुर्घटना हुई । जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी ।
यहां यात्रा काल में पर्यटकों /तीर्थयात्रियों का भारी दबाब रहता है , रहेगा । ऐसे में ऐसी लचर स्वास्थ्य व्ययवस्था जो अधिकांश रेफर होने / किये जाने के भरोसे चलती है , उसमें अगर रेफर होने के लिये ऐसी एम्बुलेंस का सहारा हो तो फिर क्या ही कहने.. करेला और सो भी नीम चढ़ा ।
अस्तु स्वास्थ्य विभाग ( मंत्री जी को तो क्या कहें ) से निवेदन है कि अगली यात्रा बैठक में जाकर , सब चंगा सी के उदघोष से पूर्व, इस 108 का इलाज करवा लें । बेहतर हो कि जोशीमठ जैसी जगह के लिये अतिरिक्त सरकारी एम्बुलेंस का इंतजाम रखें .. जो चलने फिरने में सक्षम हों । और लोगों को उपलब्ध भी हों । अन्यथा उनकी सिफारिश के लिये भी रात बिरात प्रशाशन की सिफारिश लगानी होती है ।

(अतुल सती)

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