उत्तराखंड भाषा,साहित्य, संस्कृति पर दो दिवसीय (7,8 सितंबर)संगोष्ठी का आयोजन ,



नई दिल्ली: गढ़वाली कुमाऊनी एवं जौनसारी अकादमी,नई दिल्ली द्वारा उत्तराखंड भाषा,साहित्य, संस्कृति पर दो दिवसीय (7,8 सितंबर)संगोष्ठी का आयोजन , संस्कृत अकादमी के सभागार ( झंडेवालान )नई दिल्ली में विधिवत सम्पन्न हुआ। प्रातः 11 बजे से सायंकाल 6 बजे तक लगातार चलने वाले इस दो दिवसीय आयोजन में बहुत कुछ सार्थक, नूतन और संग्रहणीय रहा जिसे कार्यक्रम में उपस्थित लोगों द्वारा भी स्वीकृति मिली।
महत्वपूर्ण यह भी था कि वक्ताओं को लगभग 15,20 दिन पूर्व ,विषय अनुरूप सूचना देकर आमंत्रित किया गया था और वक्ता ,विषय अनुरूप अच्छे ज्ञाता थे और अच्छी तैयारी के साथ आए थे।अलग- अलग विषय वक्ताओं को दिए गए थे जिससे एक नवीनता,उत्सुकता, ज्ञानवर्धन के साथ कुछ नवीन संग्रहित हो सके । इस पूरे आयोजन की वीडियो रिकॉर्डिंग भी अकादमी द्वारा हुई है और आगे पुस्तिका के माध्यम से भी उन विचारों को संजोने का प्रयास भी किया जा रहा है।
अकादमी द्वारा इस तरह की संगोष्ठी आयोजन पहला प्रयास था ,इसके लिए अकादमी सचिव श्री संजय कुमार गर्ग जी और इस भाषा अकादमी की पूरी टीम साधुवाद की पात्र है।
उत्तराखंड से आए साहित्यकारों में वक्ता के रूप में जिनकी उपस्थिति रही उनमें डॉ नन्द किशोर हटवाल, श्रीमती बीना बेंजवाल, रमाकांत बेंजवाल , श्री मदन मोहन डुकलान , श्री लोकेश नवानी , आशीष सुंदरियाल, श्री दीन दयाल बन्दूनी,अल्मोड़ा से “पहरू” के संपादक श्री हयात सिंह रावत,पिथौरागढ़ से “आदलि कुशलि” कुमाऊनी पत्रिका की संपादक डॉ सरस्वती कोहली , गरुड़ बैजनाथ से श्री मोहन चंद्र जोशी,कोटद्वार से डॉ जगदंबा प्रसाद कोटनाला सहित दिल्ली से श्री ललित केशवान,श्री पूरन चंद्र कांडपाल ,श्री रमेश घिल्डियाल, श्रीमती हेमा उनियाल,श्री जगमोहन सिंह जगमोरा,श्री दिनेश ध्यानी जी,श्री रघुवरदत्त शर्मा ,श्री जयपाल सिंह रावत,श्री पृथ्वी सिंह केदारखंडी ,श्री रमेश हितैषी , श्री दर्शन सिंह रावत ,श्री ओम प्रकाश आर्य,निर्मला नेगी, खजान दत्त शर्मा, मंजूषा जोशी,प्रदीप सिंह रावत ‘ ख़ुदेड’ आदि जन वक्ता और श्रोता रूप में भी उपस्थित रहे।
आपकी जानकारी के लिए कार्यक्रम की विषय- सारणी व वक्ताओं के नाम भी यहां दिए जा रहे हैं:-
उद्घाटन सत्र दिनांक:7 सितंबर
अध्यक्षता: श्री ललित केशवान
संचालन: श्री दिनेश ध्यानी
विषय: उत्तराखण्ड: भाषा, साहित्य एवं संस्कृति – डॉ हेमा उनियाल
विषय: कुमाऊँनी भाषा एवं उसका साहित्य – डॉ सरस्वती कोहली
विषय: गढ़वाली भाषा एवं उसका साहित्य – श्रीमती बीना बेंजवाल
विषय: जौनसारी भाषाएं: उसका साहित्य – श्रीमती मंजूषा जोशी
द्वितीय सत्र
…………………
अध्यक्षता: श्री गिरीश बिष्ट “हँसमुख”
संचालन: श्री रमेश हितैषी
विषय: भाषा मानकीकरण: प्रक्रिया एवं ज्ञानवर्धन – श्री रमाकांत बेंजवाल
विषय: मानकीकरण व भाषाई एकरूपता में लेखकों एवं पत्रिकाओं की भूमिका – डॉ हयात सिंह रावत
विषय: आंचलिक साहित्य में लेखन हेतु भाषाई एकरूपता की आवश्यकता – श्रीमती निर्मला नेगी
तृतीय सत्र
अध्यक्षता श्री पूरन चंद्र कांडपाल
संचालन: श्री पृथ्वी सिंह केदारखंडी
विषय: गढ़वाली, कुमाऊँनी एवं जौनसारी नव लेखन – मुक्त परिचर्चा
अध्यक्षता: श्री पूर्ण चंद्र कांडपाल
संचालन: श्री पृथ्वी सिंह केदारखंडी
मुख्य वक्ता
श्रीओमप्रकाश आर्य
श्रीजयपाल सिंह रावत
श्री नरेश लाल
श्री दिनेश ध्यानी
श्री जगमोहन सिंह रावत “जगमोरा”
श्री आनंद सुंदरियाल
श्री रघुवर दत्त शर्मा “राघव”
सोमवार 8 सितम्बर 2025
प्रथम सत्र
अध्यक्षता: श्री चंदन प्रेमी
संचालन: श्री दिनेश ध्यानी
विषय: नई शिक्षा नीति 2020 व मातृभाषा में शिक्षण: संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ – डॉ नंदकिशोर हटवाल
विषय: वैदिक भाषाई चेतना, संविधान की आठवीं अनुसूची एवं हमारी भाषाएँ – श्री आशीष सुंदरियाल
विषय:हमारी मातृभाषा एवं नई पीढ़ी – श्री खजान दत्त शर्मा( जौनसार)
एवं डॉ. जगदम्बा कोटनाला(कोटद्वार)
द्वितीय सत्र
अध्यक्षता: श्री लोकेश नवानी
संचालन: श्री शांतु प्रकाश जिज्ञासु
विषय: अंचलिक भाषाओं में कविता लेखन: वर्तमान परिप्रेक्ष्य – श्री मोहन चंद्र जोशी
विषय:आंचलिक भाषाओं में गद्य लेखन:श्री रमेश घिल्डियाल
तृतीय सत्र
…….
अध्यक्षता: श्री मदन मोहन दुकलान
संचालन: श्री आशीष सुंदरियाल
अंचलिक भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन में फिल्म और रंगमंच का योगदान – श्री दर्शन सिंह रावत
अंचलिक भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन में सोशल मीडिया का प्रभाव – श्री शांति प्रकाश जिज्ञासु
विषय: अंचलिक भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स का प्रयोग– श्री प्रदीप सिंह रावत ‘ खुदेड़’
समापन सत्र अध्यक्षता श्री दीन दयाल बन्दूनी
……………..
विचार विर्मश सहित धन्यवाद प्रस्ताव – श्री रमेश घिल्डियाल
सम्मान समारोह
विभिन्न सत्रों में बोले गए इन विषयों को अकादमी द्वारा रिकॉर्डिंग और आगे पुस्तिका के माध्यम से भी संग्रहित किए जाने का प्रयास सराहनीय है। आगे भी विभिन्न विषयों पर नए वक्ताओं को लेकर संगोष्ठी होती रहे और हम सभी ज्ञान अर्जित कर सकें।यह एक अच्छी शुरुआत अकादमी के माध्यम से समय- समय पर होती रहनी चाहिए। जिससे जो लोग वक्ता के रूप में उपस्थित हों , विषय अनुरूप पूरी तैयारी के साथ आ सकें और कुछ नूतन , सार्थक सृजन इस माध्यम से हो सके।
( Leading literateur and writer Dr.Hema Uniyal being felicitated at Constitution Club, New Delhi)