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उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैंण की मांग फिर उठी

21 सितम्बर को जंतर मंतर पर विशाल शांतिपूर्ण आंदोलन

नई दिल्ली। उत्तराखंड की जनभावनाओं और राज्यहित में गैरसैंण (भराड़ीसैंण) को स्थाई राजधानी बनाने की मांग को लेकर गुरुवार को राजधानी दिल्ली में आर-पार की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया गया। इस लड़ाई की शुरुवात 21 सितम्बर को दिल्ली के जंतर मंतर से होगी, जिसमें एनसीआर समेत पहाड़ में रहने वाले लीग स्थाई राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर जंतर मंतर पर शांतिपूर्ण तरीके से ढोल-दमाऊ बजाकर विशाल धरना प्रदर्शन करेंगे।

यह जानकारी सामाजिक संगठन “स्थाई राजधानी गैरसैंण” समिति द्वारा द्वारा प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में दी गई। इस कांफ्रेंस में उत्तराखन की पूर्व ब्यूरोक्रेट्स समेत अलग अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने शिरकत की।

गैरसैण स्थाई राजधानी समिति के केंद्रीय सयोंजक उत्तराखंड शासन के पूर्व सचिव व आईएएस अधिकारी रहे विनोद प्रसाद रतूड़ी ने राज्य के भविष्य से जुड़े कई अहम मुद्दे पर विस्तृत जानकारी दी और गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की कार्य योजना व रणनीति का खुलासा किया।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड स्थापना की अवधारणा पहाड़ का विकास था और आंदोलन के समय से ही गैरसैण स्थाई राजधानी की मांग रही। गैरसैंण के भराड़ीसैण में राजधानी के लिए विधानसभा भवन समेत तमाम संसाधनों पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके है। सरकारें स्थाई राजधानी के नाम पर पहाड़ के लोगों की जनभावना से खेलती रहती है। 25 साल के उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी कहाँ है, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है।

उन्होनें कहा कि राज्य व पहाड़ के आम जनमानस को राजधानी के मुद्दे पर एकजुट और जागरूक करने के लिए 21 सितम्बर को दिल्ली में शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करने और सरकार तक अपनी बात पहुँचाने का फैसला लिया गया है। इसके बाद इस मांग को चरणबद्ध तरीके से व्यापक आंदोलन होगा। उन्हीने साफ किया कि वे इस आंदोलन को राजनीति से दूर रखेंगे क्योंकि वे खुद भी गैरराजनीतिक ब्यक्ति है।

उन्होंने कहा कि जंतर मंतर पर 21 सितम्बर को उत्तराखंड आंदोलन में शहीद हुए 42 लोगों को श्रद्धांजलि दी जाएगी और उसके बाद शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन होगा, जिसमे उत्तराखंड की कई दिग्गज हस्तियां शामिल होंगी।

जगदीश चन्द्रा, पूर्व सचिव, उत्तराखंड विधानसभा ने कहा कि गैरसैण को अब तक स्थाई न बनाना पहाड़ के लोगों के साथ सबसे बड़ा अन्याय है। उत्तराखंड निर्माण के साथ गठित और उसके बाद भी बने देश के अन्य राज्योँ को अपनी अपनी राजधानी गठन के साथ मिल चुकी है, उत्तराखंड के साथ राजधानी के मुद्दे पर भेदभाव क्यों?

कमल ध्यानी ने दिल्ली एनसीआर में रह रहे उत्तराखण्ड के लोगों से 21सितम्बर को जंतर मंतर पहुँचने और धरना प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की। उन्होंने दावा किया कि प्रदर्शन को लेकर उत्त8के लोगों मे भारी उत्साज देखा जा रहा है और 21 सितम्बर को 6-7 हजार से अधिक लोग धरने में शामिल होंगे।

अधिवक्ता सुशील कंडवाल, भुवन चन्द्र जुयाल, विपिन रतूड़ी और महावीर सिंह ने कहा कि गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने के लिए सामाजिक आंदोलनों के अलावा कानूनी प्रावधानों और अदालती लड़ाई के विकल्प भी तलाशे जा रहे है। इस पर डेडिकेटेड लीगल टीम काम कर रही है। जल्द ही मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुँच सकता है।

प्रेस वार्ता के दौरान सामाजिक कार्यकर्ता देवेन्द्र रतूड़ी, विजय डूंडी, आशाराम कुमेडी, महावीर सिंह फर्स्वाण,, विपिन रतूड़ी, अधिवक्ता, मायाराम बहुगुणा, रेखा भट्ट, विकास ढोंडियाल, सुनील जदली समेत कई अन्य लोग भी शामिल रहे।

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