उत्तराखंड की राज्य सभा सीट के लिए प्रेदश भाजपा पैनल को नकारा केंद्रीय नेतृत्व ने
विनोद नेगी
उत्तराखण्ड प्रेदश भजपा संघठन ने उत्तराखण्ड की एक सीट के लिये भारी भरकम 10 लोगो का एक पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेजा लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने डॉक्टर कल्पना सैनी को भारतीय जनता पार्टी का राज्य सभा के लिये प्रत्याशी घोषित कर दिया जिसका इस पैनल में नाम तक नही था केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले से यह साबित हो गया है केंद्रीय नेतृत्व के आगे प्रदेश के तथाकथित बड़े नेताओ की नही सुनी जाती।
वास्तव में डॉक्टर सैनी का नाम उत्तराखण्ड की राजनीति में कोई चर्चित नाम नही है डॉक्टर सैनी को भले ही केंद्रीय नेतृत्व ने एडजस्ट जरूर किया है लेकिन वह बीजेपी राज्य सभा की प्रत्याशी होगी इसकी कल्पना किसी ने नही की थी।
वास्तव में केंद्रीय नेतृत्व ने यह फैसला 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर लिया है डॉक्टर कल्पना सैनी पिछड़े वर्ग की राजनीति करती है पता चला है भले ही डॉक्टर सैनी ज्यादा सक्रिय नही हो लेकिन उनके पिताजी हरिद्वार में संघ में काफी सक्रिय है उनका पूरा परिवार ही संघ से जुड़ा है उनका भाई बिदेश में संघ के कार्यक्रमो में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता है।
उत्तराखण्ड में जो बिधान सभा चुनाव हुये गढ़वाल कुमाऊ के मुकाबले हरिद्वार तथा मैदानी क्षेत्रों में भजपा का प्रदर्शन कमजोर रहा है।
वर्तमान में उत्तराखण्ड की खाली होने वाली सीट पर कांग्रेस के प्रदीप टम्टा है जो पिछड़ी जाति से है इसी को देखते हुए बीजेपी ने डॉक्टर कल्पना सैनी को राज्य सभा मे भेजने का निर्णय लिया है ताकि 2024 में बीजेपी यह सन्देश दे सके कि वह पिछड़े वर्ग का भी ध्यान रखती है।
केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले से हरिद्वार में मदन कौशिक को भी झटका लगा है जो हरिद्वार में खुद को एकं मात्र स्वयं भू नेता समझ्ते थे।
भले ही अब यह चर्चा हो डॉक्टर सैनी की पैरवी किसने की होगी अब इसका कोई मायने नही है लेकिन उत्तराखण्ड के कई नेताओ की राजनीति पर सवालिया निशान लग गये है।
कहने वाले कह रहे हैं की बड़ी दुर्गति त्रिवेंद्र जी की हुई ,जिनको राज्य पैनल और पूर्व सीएम होने के बाद भी मुंह की खानी पड़ी।