प्रो. नीलम महाजन सिंह
- 18वीं लोकसभा-2024; के लिए 09 जून 2024 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार सत्ता की शपथ ले कर इतिहास में अपना नाम अंकित कर दिया है। इसे भारतवासियों को राजनीतिक दृष्टिकोण से ऊपर उठ कर देखना चाहिए। परंतु साथ ही यह भाजपा – एनडीए के लिए आत्मनिरीक्षण का क्षण भी है। अगर हम 2019 की तुलना करें तो, सत्रहवीं लोक सभा के गठन के लिए आम चुनाव, देशभर में 11 अप्रैल से 19 मई 2019 के बीच 7 चरणों में अयोजित कराये गये थे। चुनाव के परिणाम 23 मई 2019 को घोषित हुए, जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने स्वयं; 303 सीटों पर जीत हासिल की थी और ‘अपना पूर्ण बहुमत बनाये रखा’। भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 353 सीटें जीतीं। भाजपा ने 37.36% वोट हासिल किए, जबकि एनडीए का संयुक्त वोट शेयर 60.37 करोड़ वोटों का 45% था। कांग्रेस पार्टी ने 52 सीटें जीतीं थी व कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 92 सीटें जीतीं। अन्य दलों व उनके गठबंधन ने संसद में 97 सीटें जीतीं। 2024 के लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की कहाँ चूक हुई कि वे स्वयं से पूर्ण बहुमत नहीं प्राप्त कर पाए? राम मंदिर आंदोलन, राम मंदिर का भव्य उद्घाटन होने के बावजूद भी अयोध्या में तो भाजपा की हार हुई, परंतु पूरे उत्तर प्रदेश में ही भाजपा का पत्ता साफ़ हो गया।अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा के ताबड़-तोड़ प्राचार ने योगी आदित्य नाथ की राजनीतिक हैसियत में सेंध लगा दी है। इस चुनाव में बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने से चूक गई; हालांकि एनडीए को बहुमत मिला है व ‘भाजपा सिंगल बहुमत पार्टी’ तो बनी है। चुनाव आयोग की ओर से फाइनल आंकड़ें दे दिए गए हैं, और ये साफ हो गया था कि बीजेपी अपने दम पर बहुमत में नहीं आई है। इस बार सरकार बनाने के लिए बीजेपी को अपने सहयोगी दलों पर निर्भर करना पड़ा है। इस बीच बड़ा सवाल यह है कि ‘अब की बार 400 के पार’ के नारे देने वाली बीजेपी ने वही गलतियाँ करीं, जैसे कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में, स्वर्गीय प्रमोद महाजन ने ‘इंडिया शाइनिंग’ (India Shining) का नारा दिया; जो भाजपा के लिए घातक सिद्ध हुआ था। राहुल गांधी व अखिलेश यादव की जोड़ी ने देश के सबसे अधिक लोकसभा वाले राज्य, उत्तर प्रदेश में कैसे कमाल कर दिया, जिससे देश की राजनीति ही बदल गई? कहा जा रहा है कि भाजपा को आरएसएस का पूर्ण समर्थन नहीं मिला। बीजेपी के वोटरों को बूथ तक लाने में आरएसएस की अहम भूमिका रहती है। इस बार के चुनाव में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव के बीच में कहा था, “जब हम कमज़ोर थे तो आरएसएस की ज़रूरत थी। आज हम खुद सक्षम है”। पॉलिटिकल पंडितों का मनना है कि यह ब्यान बीजेपी के विरोध में गया और आरएसएस से जुड़े लोगों को बुरा लगा। इसका खामियाज़ा महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हुआ। फ़िर घोषणा पत्र में स्थानीय मुद्दों को दरकिनार किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ‘विकसित राष्ट्र व तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था’ बनाने का नारा देते रहे। इससे आम जनता लाभान्वित नहीं हुई। बीजेपी ने उम्मीदवारों के चयन में भी भारी गलती की। कई ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया गया, जिनको लेकर क्षेत्र में भारी नाराज़गी थी। वे चुनाव हार गए हैं। कांग्रेस व ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल राजनीतिक पार्टियां, दलित वोटरों को ये समझाने में कामयाब रहे कि अगर बीजेपी को 400 सीटें मिलेंगीं तो वे संविधान बदल देंगें। यानी दलितों व ओबीसी को मिलने वाला आरक्षण खत्म हो जाएगा। इसका बड़ा नुकसान बीजेपी को हुआ है। उत्तर प्रदेश में बसपा का वोट बैंक मायवती से हटकर, सपा व कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में चला गया। यहां तक कि कॉंग्रेस पार्टी के ईमरान मसूद जिसने, नरेंद्र मोदी को ‘बोटी-बोटी काटने की धमकी दी थी वो भी विजयी हो गया। फ़िर सुश्री मायावती की बसपा तो शून्य हो गई। भीम सेना के चन्द्रशेखर ‘आज़ाद’ विजयी हो कर लोकसभा में आ गये हैं। यह भी सत्य है कि भाजपा को दिल्ली की सातों सीटों पर पुनः विजय प्राप्त हुई है। फ़िर मध्य प्रदेश की 29 में से 29 सीटें भाजपा ने जीत कर ‘मध्य प्रदेश को कॉंग्रेस मुक्त’ कर दिया है। यहां तक कि दिग्विजय सिंह की अपने राघोगढ़ में, रोडमल नागर से 1,46,089 वोटों से पराजित हुए। उसके भाई लक्ष्मण सिंह तो विधानसभा चुनावों में पहले ही परास्त हो चुके हैं। पीएम मोदी से वोटरों को कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन उन्हें अपने क्षेत्र के सांसदों से नाराज़गी ज़रूर थी। दो बार से जीत रहे जिन सांसदों को फिर से टिकट दिया गया, जनता में यह नाराज़गी थी कि वो मोदी के नाम पर जीत तो जाते हैं, लेकिन उनके कार्य नहीं करते हैं। इस बार फ़िर से पार्टी की ओर से जब टिकट दिया गया तो यह नाराज़गी बढ़ गई। कई उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है। दिल्ली में पार्टी ने अपने 6 सांसदों का टिकट काटा व रिज़ल्ट सबके सामने है। शत-प्रतिशत विजय! सभी 7 सीट पर भाजपा की विजय हुई है। कुछ राज्यों में हिन्दु-मुस्लिम वोटों का ज़बरदस्त ध्रुवीकरण देखने को मिला। इसका नुकसान सीधे बीजेपी को हुआ है। विपक्ष ने महंगाई व बेरोज़गारी को मुद्दा बनाया। लाखों की संख्या में युवा रैलियों में जुटे। विपक्षी दलों द्वारा लोकलुभावन घोषणाओं का उन्हें फायदा हुआ। यह तो अवश्य कहना होगा कि राहुल गांधी ने अपनी राजनीतिक हैसियत स्थापित कर ली है। राहुल ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि अगर उनकी सरकार आएगी तो 30 लाख सरकारी नौकरियां भरी जाएंगीं। देश की करोड़ों महिलाओं के बैंक खाते में 8,500 रुपये जमा कराएंगें। किसानों के कर्ज़ माफ करेंगें, किसानों को सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी देंगें आदि। इसका फायदा ‘इंडिया गठबंधन’ को मिला। देश के छोटे शहरों में युवाओं के बीच ‘अग्निवीर योजना’ को लेकर रोष था। इसको भांपते हुए राहुल गांधी ने ऐलान किया कि अगर उनकी सरकार आएगी तो वह इस योजना को खत्म कर देंगें। इसका फायदा ‘इंडिया’ गठबंधन को मिला। खैर विपक्ष मज़बूत है और सरकार अब अपनी मनमानी नहीं करेगी। तीसरे कार्यकाल को लेकर नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है कि, “हम देश में फैसलों का एक नया अध्याय लिखेंगें। विरोधी एकजुट होकर उतनी सीटें नहीं जीत पाए, जितनी बीजेपी अकेले जीती है। नीतीश कुमार-चंद्रबाबू नायडू का पूर्ण समर्थन नरेंद मोदी को प्राप्त है। उधर जम्मू कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार और महबूबा मुफ्ती का सूपड़ा साफ़ हो गया है. जेल में रहते हुए राशिद इंजीनियर ने जीत का परचम लहराया. उत्तर प्रदेश में जातिगत राजनीति सफल हुई। मुस्लिम व यादवों ने सपा और कांग्रेस उम्मीदवार को एकतरफा वोट किया। वहीं, मायवटी के वोट बैंक ने भी बीएसपी से हट कर ‘इंडिया गठबंधन’ के उम्मीदवार को वोट किया। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ व ‘न्याय-यात्रा’ से विपक्ष को
कामयाबी मिली। असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी की माधवी लता को रिकॉर्ड अंतर से हराया। सारांशाार्थ यह कहा जा सकता है कि अब एनडीए सरकार मज़बूती से भारत को समृद्धिशाली बनाएगी। चुनाव समाप्त हो गए हैं, मन-मुटाव भी समाप्त कर, विजयी प्रत्याशियों को एक जुट हो कर भारत के जनमानस को सशक्त करना होगा। 200 से अधिक का विपक्षी दल, अब परिचर्चा कर, सोच समझ से अधिनियम व कानून बनाएंगें। हमें आशा करनी चाहिए कि विश्व का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश – भारत, एक उदाहरणार्थ संविधान की सुरक्षा कर प्रत्येक नागरिक को उसकी आकांक्षाओं को पूरा कर, नरेंद्र मोदी अपनी द्वारा दी गई गारण्टियों को प्रमाणित करेंगें। भारतीय लोकतंत्र को सलाम। प्रो. नीलम महाजन सिंह
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, दूरदर्शन समाचार व्यक्तित्व, अंतर्राष्ट्रीय सामरिक विशेषज्ञ, सालिसिटर व परोपकारक)
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