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India

इंटेक की मांग – केंद्र और राज्य सरकार मणिपुर में शांति स्थापित और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए तुरंत प्रभावी कदम उटाये

मणिपुर में महिलाओं के साथ जो बर्बरता और पशुता की हरकत हुई उसकी इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस(इंटेक) कड़े शब्दों में निंदा करती है और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने की मांग करती है और उम्मीद करती है कि सरकार राजनीति से ऊपर मानव धर्म का पालन करेगी और देश की औरतों को न्याय दे, उनके सम्मान की रक्षा करेगी।

इंटेक की मांग है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार तुरंत मणिपुर में शांति स्थापित करने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रभावी कदम उठाए।

मणिपुर में 3 मई से हिंसा की शुरुआत हो चुकी थी। यह हिंसा अपनी बर्बरता की सीमा तोड़ नफरत की नई कहानी लिख रही थी। मानवता को शर्मसार कर देने वाली यह घटना इतनी निंदनीय है कि इसकी जितनी भी आलोचना की जाए वह कम है। देश को शर्मसार कर देने वाली मणिपुर में हाल ही में हुई घटना मानवता के माथे पर कलंक है । दुख और तब ज्यादा बढ़ जाता है जब ऐसी घटना पर सरकार और गोदी मीडिया चुप्पी साध लेती है।

मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा था और हमारे देश के प्रधानमंत्री चुप बैठे थे। जनता आश लगाए बैठी थी की अब प्रधानमंत्री अपनी चुप्पी तोड़ेंगे और जनता से शांती,सौहार्द की अपील करेंगे,लेकिन वो चुप रहें।

उनकी चुप्पी इशारा कर रही थी कि मणिपुर की हिंसा से उनको कोई लेना देना नहीं है।

केंद्र सरकार की कोशिश है कि कोई भी इस तरह की हर दिन हो रही घटनाओं की ओर उन्मुख भी न हो। मणिपुर की असहाय जनता के दुख दर्द की पीड़ा को देख जब राहुल गांधी वहां पहुंचे तो भाजपा के लोगों को यह भी ना गवारा गुजरा और वह राहुल गांधी की यात्रा पर टीका टिप्पणी करने से भी बाज ना आए।

मणिपुर में हिंसा दिन पर दिन अपनी हदें पार करती गईं।हद तो तब और ज्यादा हो गई जब वह अपनी हैवानियत की सारी सीमा को पार कर, एक घटना में महिलाओं की अस्मत से खेला गया । ’19/7/2023 की (वायरल वीडियो) बर्बरता दर्शाती है कि आज भी हमारा समाज कितनी घिनौनी मानसिकता से ग्रस्त है।

आज भी स्त्री उसके लिए सिर्फ एक देह रूपी खिलौना है , उसके सिवाय कुछ भी नहीं । उसकी अपनी कोई अपनी अस्मिता नहीं है वह मात्र भोग्या है। सदियों से स्त्री की अस्मिता पर प्रहार होता रहा है वह चाहे कोई भी समय या काल क्यों न रहा हो। लेकिन अत्याधुनिकता की सीढी चढ़ते हुए समाज की मानसिकता आज भी पुरातनपंथी परम्पराओं से ओतप्रोत है। और पुरुष मानसिकता की पोल खोलता है कि आज भी पुरुष स्त्री को लेकर क्या सोचते हैं।
ये घटना इतनी निंदनीय है कि देश का सिर शर्म से झुक गया , मानवता शर्मसार हो गयी ।

अपनी सभ्यता और संस्कृति का गुणगान करने वाले, आधुनिकता का राग अलापने, चांद पर पहुँचने और ‘बेटी बचाओ और बेटी बढ़ाओ’ का नगाड़ा पीटने वालों की सरकार की नियत कैसी है इस घटना ने उनकी मानसिकता साफ रूप से और उजागर कर दी।

जब देश का इतिहास लिखा जायेगा, तब यह घटना काले अक्षरों में इतिहास के पन्नों पर चीख -चीखकर प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करेगी कि जब मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा था तो हमारे देश के प्रधानमंत्री इतने महिनों तक चुप क्यों थे ।

मणिपुर का दुख-दर्द, उनकी चीखें उनके कानों तक क्यों नहीं पहुँच रही थी। औरतों की चित्कार उन तक क्यों नहीं पहुँच रही थी। महीनों बीत गए लेकिन हमारे सरकारेआज़म के सिर पर जूं तक नहीं रेंगी ।इस घटना के बाद प्रधानमंत्री जब बोले तो मणिपुर की बेटियों पर बोलते समय उनके बोल में पीड़ित बेटियों के लिए पीड़ा और चिंता कम थी और काँग्रेस शासित राज्यों की सरकारों पर आरोप ज्यादा थे।

धिक्कार है ऐसे समाज पर और नेताओं पर जो औरत को एक वस्तु समझते हैं , मनोरंजन और दिल बहलाने का एक साधन समझते हैं।अपनी मर्दानगी दिखाने का जरिया समझते हैं।
वर्तमान सरकार में औरतों का शोषण करने वाले अपने मंत्रियों और शुभचिंतकों की करतूतों पर सरकार सिर्फ चुप ही नहीं बैठती बल्कि ऐसे शोषणकारियों को संरक्षण भी देती है। उदाहरण के रूप में इन्हीं के सरकार के मंत्री बृजभूषण इसका ताजा उदाहरण है। देश की पहलवान बेटियां मंत्री बृजभूषण के यौन शोषण खिलाफ चिखती रहीं,आंदोलन करती रहीं ,न्याय की गुहार लगाती रहीं,लेकिन देश के प्रधानमंत्री पर कोई असर नहीं हुआ। बृजभूषण को सजा देने या देश की बेटियों को न्याय देने की बात तो दूर रही इस सरकार ने बृजभूषण को अपनी चादर की छांव में छिपाए रखा।इस सरकार में और इनके राज में बलात्कारी और यौन शोषणकारी खुलेआम घूम रहे हैं।बिलकिश बानों का उदाहरण जनता से छुपा नहीं है। जहां बलात्कारियों को छोड़ दिया गया।
देश के लिए बहुत दुखद है कि यहां की औरतें सुरक्षित हवा में सांस नहीं ले पा रही हैं । प्रधानमंत्री के इसी जनता विरोधी रवैए और मणिपुर की घटना को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में इंटेक ने सबसे पहला कदम उठाया था और जब प्रधानमंत्री दिल्ली विश्वविद्यालय के 100वें समापन अधिवेशन में शिरकत किए तों इंटेक ने इसका बहिष्कार किया .

एक बयान में Dr नीलम, सदस्य, विद्वत परिषद, Dr मेघराज
सदस्य, विद्वत परिषद, अमन ,सदस्य, विह्वविद्यालय कोर्टदिल्ली विश्वविद्यालय में भी मणिपुर से काम कर रहे शिक्षक और पढ़ रहे छात्र मानसिक तनाव में हैं। इंटेक इन कठिन परिस्थितियों में उनके साथ है और उम्मीद करती है की सरकार गहरी नींद से जागकर मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए असरदार कदम उठाएगी।

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