आदमखोर गुलदार ने पाबो ब्लॉक के सपलोड़ी गॉव में महिला को अपना निवाला बनाया
ये बहुत ही दुर्भाग्य की बात है की गढ़वाल और कुमाऊँ मंडलों में आदमखोर गुलदारों के हमलों में महिलाओं बच्चो बुजुर्गों जवानों की मौत के दुखद समाचार आये दिन प्रकाश में आ रहे हैं.
ज्यादातर मामलों में खेतों में काम कर रही और जानवरों के लिए चारा लेने गयी महिलओं पर आदमखोर गुलदारों की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं.
ये दुखद घटनाएं लगभग रोज ही घट रही हैं. जंगलों की बढ़ती आग के चलते ज्यादातर गुलदार रिहाइशी इलाकों की तरफ रुख कर रहे हैं और इंसानों को अपना निवाला बना रहे हैं.
पिछले दिनों टिहरी गढ़वाल में प्रोफेशनल हंटर भंडारी ने एक ७ साल की बच्ची को शिकार बनाने वाली आदमखोर मादा को मौत के घाट उतारा था जिसके चलते लोगों ने रहत की सांस ली.
इससे पूर्व देवप्रयाग, मलेथा , चौबट्टाखाल , कल्जीखाल आदि क्षेत्रों में आदमखोर गुलदार के कई मामले प्रकाश में आये जिनमे महिलायें और युवा आदि इनके शिकार हुवे.
ताज़ा मामला विकासखंड पसबो के सपलोड़ी गाँव का है जहाँ १५ तारिक़ शाम को पास के जंगल में काफल तोड़ने गयी एक महिला को आदमखोइ गुलदार ने अपन निवाला बना दिया. उनके साथ गयी दो महिलाओं ने किसी तरह अपनी जान बचाई.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मृतक महिला जिसके गले में गभीर घाव के निशान थे, अपने दो महिला साथियों के साथ काफल तोड़ने के बाद छाव में बैठी थी. अचानक पीछे से आदमखोर गुलदार ने इनपर झपट्टा मारा. दो औरतें किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग गयी लेकिन एक महिला चपेट में आ गयी. मृतका का नाम सुषमा है.
जब घबराई हुई दोनों महिलाये शोर मचाते हुई गाँव पहुंची उसके बाद अन्य लोग सुषमा को ढूंढ़ने के लिए निकले. पाबो प्रधान हरेंद्र कोहली ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया की उन्होंने पबो चौकी में तुरंत इत्तिला दीदी. इसके बाद वन विभाग और पुलिस मौके पर पहुंची. नागदेव के रेंजर अनिल भट्ट ने फौरी तौर पर मृतका परिवार को ५०००० रुपये की मदद दी. गांव में इस घटना के बाद से बेहद तनाव है और लोगों ने मृतक सुषमा के परिवार के क सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है क्योंकि के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी चिंताजनक है .
अहम् सवाल ये है की क्या आदमखोर गुलदार का निवाला बनी महिला की जिंदगी की कीमत मात्रा पच्चास हज़ार है ?
गौरतलब है की एक तरफ उत्तराखंड में बढ़ी तादाद में इंसान, आदमखोर गुलदारों के शिकार हो रहे हैं लेकिन दूसरी ओर उत्तराखंड के मंत्री और अफसर विदेशी दौरे कर टाइगर्स के संरक्षण को एनडेंजर्ड स्पीसिस बताकर करदाताओं के धन का दुरूपयोग कर विदेशी दौरे कर रहे हैं. उन्हें इंसानो चिंता कम और टाइगर्स और गुलदारों की चिंता अधिक है. ये बहुत ही दुर्भाग्यजनक पहलु है.
उत्तराखंड में पिछले २२ वर्षों के दौरान दो राष्ट्रीय दलों की सरकारों ने शासन किया लेकिन इस हिमालयी राज्य में इंसानो को गाजर मूली ही समझा. उनकी कीमत इन राजनेताओं की नज़र में मात्र नॉन एंटिटी की ही रही मानो उनकी कोई हैसियत ही नहीं है. ये बहुत हिंदुर्भाग्यजनक पहलु है. उत्तराखंड जर्नलिस्ट्स फोरम उत्तराखंड सरकaर से आदमखोर जानवरों द्वारा हो रही मौतों के एवज़ में प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और कम से कम १५ लाख रुपये का आर्थिक मुआवजा दिया जाना चाहिए.
क्या सरकार वन्य जीवों से ग्रामवासियों के जान हानी मुद्दे पर सचमुच गंभीर है? अगर है तो विगत से अब तक क्या सक्रीय कदम उठाये व हादसों मे कितनी कमी आई। वन विभाग आंख धुलाई सी कार्यवाही करते हैं । यदि वन प्रबंधन चंद दिनों के लिये मुझे दिया जाय तो मैं वन जीवों और वन संपदा नियंत्रण पर प्रभावी कार्य कर दिखाता।
Very true sir. Appreciate
Sunil Negi