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Uttrakhand

आजादी के ७५ साल बाद और राज्य के २२ साल बाद आज भी चमोली के कुछ गाओं की बीमार महिलाओं को चिकित्सा हेतु कई किलोमीटर के पैदल सफर तय अस्पताल पहुंचाना पड़ता है

राकेश सिंह बिष्ट

23 साल हो गए हैं उत्तराखंड को अलग राज्य बने हुए अलग होने की वजह भी बड़ी खास थी भौगोलिक परिस्थिति भी अलग है रोजजगार के कोई भी संसाधन नहीं थे 3 महीने बारिश आपदा का डर और 3 महीने ठंड और बर्फबारी 2 महीने सूखे और जंगलों में आग के और बचे हुए महीनों में खेती बाड़ी और उसमें भी 2,3 महीने का ही राशन पानी निकलता है शिक्षा स्वास्थ्य और सड़क तो बहुत दूर की बातें थी अलग राज्य बनाने की मांग उठी आंदोलन हुआ कई संघर्षों बलिदानों के बाद सन् 2000 में एक अलग राज्य मिल गया पूरे प्रदेश में खुशियां ही खुशियां किसी ने सोचा ही नहीं था की ऐसा भी होगा लेकिन हो गया और राज्य बन गया और आज भी स्थिति शिक्षा,स्वास्थ्य और सड़क की बदहाली वहीं का वहीं है और लोगों का पयालन रुक नहीं रहा है स्कूल है तो शिक्षक नहीं हॉस्पिटल है तो डॉक्टर नहीं और दोनों हैं तो दवाईयां नहीं सड़कों की बदहाल स्थिति है दूर दराज गांव की स्थिति तो आप वीडियो में ही देख सकते हैं अगर स्वास्थ्य की बात करे तो देहरादून जॉली ग्रांट,और इंद्रेश हॉस्पिटल पहाड़ो से सीधे जुड़े हुए हैं ऋषिकेश aiims तो बिजनौर सहारनपुर उत्तर प्रदेश के मरीजों को पूरा नहीं है।
23 साल बाद भी राज्य के पहाड़ों और सीमांत दुर्गम क्षेत्रों में ना शिक्षा दे रहे हो सही ना व्यवस्था सही और ना ही सड़क, पहाड़ों का जीवन पलायन करने को मजबूर है डबल इंजन को दो बार लगातार पटरी पर चढ़ा दिया है,बस खेल खेला जाता है, मुख्यमंत्री बदले जाते हैं, पुरानी व्यवस्था नहीं बदली जाती है। ये picture उत्तराखंड के चमोली जिले के दुर्गम घाटी सीमांत गांव #झींजी ग्राम का है जहां आज भी स्वास्थ्य और सड़क की ये व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है। गर्व की जगह शर्म आती है आज भी ऐसी स्थिति है पहाड़ों की। #PushkarSinghDhami #CMDhami #PMNarendraModi #PMOIndia #MansukhMandaviya

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