अर्थिक सशक्तिकरण का राजनीतिकरण अनुचित
प्रो. नीलम महाजन सिंह
हर सरकार के पसंदीदा उद्योगपति होते हैं। कॉंग्रेस के काल में ‘बिड़ला परिवार’ को बहुत लाभ पहुंचे थे। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने धीरूभाई अम्बानी की प्रपोज़ल को ठुकरा दिया था। वी.पी. सिंह सरकार में व्यापारी भयभीत हुए। फिर ‘वैट और जीएसटी’ भी मुसीबत बने। आजकल, नरेंद्र मोदी सरकार में गौतम अडानी के व्यापार साम्राज्य की चर्चा है। पिछले सप्ताह, रजत शर्मा के कार्यक्रम, ‘आप की अदालत’ में, गौतम अडानी की 1 घंटे की भेंटवार्ता देखी। इस कार्यक्रम में उन्हें अपने बारे में जानकारी देने का पूरा समर्थन मिला। अब गौतम को कोई खतरा नहीं है। पूरा मीडिया अडानी ग्रुप ने टेक-ओवर कर लिया है। अधिकतर पत्रकार अब उन्हीं के कर्मचारी हैं। फिर अनेक व्यापरियों को राजनीतिक दलों द्वारा, राज्य सभा में मनोनीत किया जाता है। पिछले सप्ताह, सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले (Adani-Hindenburg Case) पर फैसला सुनाया है। सेबी (SEBI) की जांच रिपोर्ट में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर दिया। 3 जजों की बेंच ने कहा कि सेबी की जांच उचित है वह इस मामले की जांच के लिए सक्षम एजेंसी है। मार्केट रेग्यूलेटर ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है व अभी 2 और मामलों की जांच बची हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने बाकी बचे दोनों मामलों की जांच पूरी करने के लिए सेबी को तीन महीने की मोहलत दी है, जिसे ‘टाइमबाउंड’ कर दिया गया है। नवंबर 2023 को इस मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने मार्केट रेग्यूलेटर, सेबी की जांच व एक्सपर्ट्स कमेटी पर उठाए जा रहे सवालों को नकारते हुए अपना फैसला सुरक्षित रखा था। गौरतलब यह है कि ‘अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म’ ने जनवरी 2023 में अडानी ग्रुप को लेकर एक रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की थी, जिसमें ‘अडानी कंपनियों के शेयर ओवरवैल्यूएड’ होने व कीमतों में हेरफेर समेत, बैंकों की कर्ज़दारी को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे। सेबी के एसआईटी के गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “हम सेबी को दिए गए समय में अपनी पूरी जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दे रहे हैं”। अडानी- हिंडनबर्ग मामले पर चीफ जस्टिस डा.डी. वाई. चंद्रचूड, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला व जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा, “कोर्ट को सेबी के अधिकार क्षेत्र मे दखल देने का सीमित अधिकार है। सेबी ही इस मामले की जांच करेगी। एसआईटी की जांच ट्रांसफर नहीं की जाएगी, क्योंकि उसका कोई औचित्य अभी नजर नहीं आ रहा है”। वैसे अब अडानी ग्रुप क्रैश होने के बाद, शेयरों की मार्केट में तेज़ी से वृद्धि हुई है। मुझे ज्ञात है कि बहुत वर्ष पहले, मैं लंदन में थी। मुझे इकनॉमिक्स का इतना ज्ञान नहीं था। वहां एक साईन-बोर्ड पर लिखा था, ‘अडानी पावर’। मैंने पूछा कि यह कौन सा ग्रुप है, तो मुझे बताया गया कि यह ग्रुप बहुत तेज़ी से विकसित हो रहा है। ऐसा नहीं है कि कोई भी उद्योगपति कुछ ही दिनों में आगे बढ़ने लगता है। धीरूभाई अम्बानी ने भी ज़ीरो से आरंभ कर इतना बड़ा साम्राज्य तैयार किया था। अंबानी व अडानी कई बार आमने-सामने आ हो चुके हैं। ऐसा क्या हुआ, जो रॉकेट की तरह भागने लगीं अडानी कंपनियों के शेयर? सर्वोच्च न्यायालय ने सेबी के एफपीआई नियमों को ये कहकर रद्द करने से इन्कार कर दिया, कि अदालतें नियामक शासन के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। ‘जांच ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं है। इसे केवल तभी उठाया जा सकता है जब नियमों का उल्लंघन किया गया हो। कोर्ट ने ओसीसीपीआर (OCCPR) रिपोर्ट पर निर्भरता को भी ख़ारिज करते हुए कहा, कि बिना किसी सत्यापन के ‘थर्ड पार्टी ऑर्गेनाइजेशन’ की रिपोर्ट पर प्रमाण के रूप में भरोसा नहीं किया जा सकता है। जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड ने कहा, “सरकार व सेबी, भारतीय निवेशकों के हितों को मज़बूत करने के लिए समिति की सिफारिशों पर विचार करेंगें। इसके साथ ही इस पर गौर करेंगे कि क्या ‘शॉर्ट सेलिंग पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट’ में लिखित कानून का कोई उल्लंघन हुआ है या नहीं? अगर ऐसा पाया जाता है तो कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी”। पहले से ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला गौतम अडानी के पक्ष में आने के संकेत मिल रहे थे व अब कोर्ट ने अब साफ शब्दों में कह दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को अंतिम सच नहीं माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ही अडानी ग्रुप की शेयर बाज़ार में लिस्टेड सभी कंपनियों के शेयरों में तूफानी तेज़ीे देखने को मिली थी। स्टॉक मार्केट में कारोबार शुरू होने के साथ ही अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस का शेयर 14.29% उछलकर ₹1214 रुपये पर पहुंच गया। अडानी टोटल गैस के शेयर में भी 10 फीसदी तेज़ी दर्ज की गई, अडानी ग्रीन एनर्जी में 8 फीसदी, तो वहीं अडानी ग्रुप की फ्लैगशिप कंनी अडानी Enterprises एंटरपराइज़ेज में 7 फीसदी का उछाल आया। अडानी वालमार्ट का शेयर 7.49 फीसदी उछला। अडानी पोर्ट्स में 5 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई। गौतम अडानी की सीमेंट कंपनियों के शेयर भी हरे निशान पर कारोबार कर रहे हैं। अंबुजा सीमेंट का स्टॉक 2.48 फीसदी बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। पूर्व अटॉर्नी जनरल, वरिष्ट अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर, हिंडनबर्ग पर अपराधिक कार्रवाई की मांग की है। अंतरराष्ट्रीय अदालतों में कई बार भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हरीश साल्वे ने कहा कि यह फैसला अडानी समूह के लिए “सिर्फ एक पुष्टि से कहीं अधिक है। यह कानून के शासन और शक्तियों के पृथक्करण के महत्व को बहाल करता है”। यह फैसला शक्तियों के बंटवारे पर, लंबे समय में लोकतंत्र को फलने-फूलने में मददगार होगा। सारांशार्थ यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी, कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए निजी उद्योगपतियों का योगदान आवश्यक है। राज्य द्वारा नियंत्रित, अनेक क्षेत्रों का निजीकरण उचित नहीं है, परंतु इसका निर्णय पीएम नरेंद्र मोदी सरकार को सोच समझ कर करना होगा। दिल्ली में भी बिजली को अम्बानी तथा टाटा ग्रुप को दिया गया है। एयर इंडिया को टाटा समूह को दिया गया। सभी कुछ तो आउटसोर्सिंग सही नहीं है। इन दो महत्वपूर्ण सिद्धांतों को दरकिनार नहीं किया जा सकता। लोकतंत्र जीवित रखने लिये ‘अंत्योदय’ को कार्यान्वित करना होगा। अंततः यह भी सत्य है कि गौतम अडानी को पीएम नरेंद्र मोदी बहुत वर्षो से परिचित हैं। अर्थिक सशक्तिकरण का राजनीतिकरण अनुचित है। जनहित, मानव विकास, युवा व महिला सशक्तिकरण तथा आर्थिक स्वावलंबन भारत के लिए प्रमुख है। उस प्रकार से, कोई भी उद्योगपति, यदि नियमों के अनुसार कार्यान्वित है तो वह सही है। गौतम अडानी बहुत मेहनती और जागरूक हैं। उन्हें मालूम है कि अनेक लोग उन पर नज़र रखें हुए हैं। इसलिए अभी तो ‘बुल ऊपर भाग रहा है’, उसी पर ध्यान देना चाहिए। अर्थव्यवस्था में अनेक पेच होते हैं, जिसे मज़बूत कर देश की अर्थिक सम्पन्नता, आम जनता के लिए लाभदायक हो।
प्रो: नीलम महाजन सिंह
(वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, दूरदर्शन व्यक्तित्व, सॉलिसिटर व परोपकारक)
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