अमेठी की जीत क्या बद्रीनाथ में दोहरा सकती है कांग्रेस ??
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डॉ योगेश धस्माना
अमेठी में भाजपा के जीत के तमाम दावे और कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा को नीचा दिखाने की तमाम कोशिशों के बाद भी किशोरी शर्मा ने शांत भाव और जनता के बीच रहकर न केवल अपनी जीत पक्की की , वरन भाजपा के आई.टी. सेल के जीत के दावों को भी झुटलाकर रख दिया । किशोरी लाल नेहरू युवा केंद्र , अमेठी में 1992 तक जिला समन्यवक के पद पर रहे । यहीं से इनका राजीव गांधी से संपर्क हुआ और फिर इन्हें नौकरी छोड़कर पूरी तरह राय बरेली और अमेठी में कांग्रेस संगठन की कमान को संभाला ।
राजीव गांधी ने उन्हें पेट्रोलियम मंत्रालय में निदेशक मंडल का प्रभार और राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा संचालित ग्रामीण विकास के कार्यक्रमों का अमेठी में दायित्व संभाला । पिछले चालीस वर्षों में किशोरी ने अमेठी और राय बरेली में , गांव गांव तक की सड़कें बनवाकर , घर घर तक गैस की आपूर्ति , केरोसीन ऑयल के डिपो की स्थापना के साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत गरीब लोगो को आवाज दिलाकर जो कार्य किया , उसके चलते ही पहले राजीव और फिर सोनिया गांधी लगातार इस छेत्र से चुनाव जीत ते रहे।
चुनाव प्रबंधन की पूरी कमान चीफ इलेक्शन एजेंट के रूप में किशोरी ही संभालते रहे । इतना ही नहीं 1990 में चमोली में आए भूकंप के दौरान किशोरी ने सोनिया गांधी के साथ आकर बेसहारा लोगों को जिस तरीके से आर्थिक सहायता पहुंचाई वह कार्य उनका अद्भुत था। उन्होंने स्वयं मुझसे वार्ता कर राहत और पुनर्वास कार्यक्रमों में राजीव गांधी फाउंडेशन से मदद दिलाकर बड़ा काम किया । मैं किशोरी को 1995 से इलाहाबाद से जानता हूं। जब मैने उनकी जनता के बीच संगठन क्षमता को देखा था , तब मुझे यह एहसास होगया था कि इस व्यक्ति के अंदर नेतृत्व के सभी गुण मौजूद हैं। कांग्रेस संगठन को भी किशोरी की कार्य शैली का अध्ययन करना चाहिए और उसके आधार पर जनता के बीच जनता के बीच रहकर संगठन को खड़ा करना होगा । बदरीनाथ विधानसभा उपचुनाव के संदर्भ में मेरा यह मानना है कि कांग्रेस संगठन यदि बूथ मैनेजमेंट कर जन मुद्दों को किशोरी की तरह जानता के बीच रखने में सफल होता है तो कांग्रेस की जीत की राह आसान हो सकती है । दूसरी ओर भाजपा का आई.टी. सेल ग्राम पंचायत तक अपनी पकड़ को मजबूत कर चुका है , उसका मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को गांव गांव की पगडंडियों पर चलना होगा । भाजपा के भीतर उनके आई.टी. सेल की मजबूती के चलते संघ और पार्टी के कार्यकर्ता अपने नेतृत्व से दूर होते चले जा रहे हैं। कांग्रेस यदि इस नस को पकड़ कर प्रभावी तरीके से जानता के बीच भाजपा की पहाड़ विरोधी नीतियों को यदि जनता के बीच रखने में सफल होती है तो यह चुनाव न सिर्फ रोचक होगा बल्कि अयोध्या और अमेठी की तरह जीत की एक नई इबादत लिख कर कांग्रेस को संजीवनी प्रदान कर सकता है।