अमृत काल में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी भारत ऊंची उड़ान भर रहा है”
भारत, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू नागरिक उड्डयन बाजार है।
जनवरी-अगस्त के दौरान घरेलू एयरलाइनों द्वारा यात्रियों की संख्या में 38.27% की वृद्धि हुई।
अगर हम एक आधिकारिक विज्ञप्ति की माने तो घरेलू विमानन उद्योग अकेले अगस्त 2023 के महीने में 23.13 प्रतिशत की महत्वपूर्ण मासिक वृद्धि दर देखी गई, जिसमें घरेलू यात्री संख्या बढ़कर 148.27 लाख हो गई। यात्री वृद्धि में यह ऊपर की ओर रुझान उद्योग के लचीलेपन और वैश्विक महामारी से उत्पन्न चुनौतियों से उबर रहे सेक्टर को दर्शाता है। नवीनतम डेटा विश्लेषण और एविएशन एक्सपर्ट के अनुसार, जनवरी से अगस्त 2023 तक घरेलू एयरलाइनों द्वारा यात्रियों की संख्या 1,190.62 लाख तक पहुंच गई, जो कि एक बड़ी वृद्धि है। पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 38.27 प्रतिशत। जबकि यात्री यातायात में प्रभावशाली वृद्धि के बावजूद, यह ध्यान देने योग्य है कि अगस्त 2023 में शेड्यूल्ड घरेलू एयरलाइनों के लिए कुल कैंसिलेशन दर मात्र 0.65 प्रतिशत थी। अगस्त 2023 के दौरान, शेडयूल्ड घरेलू एयरलाइनों को कुल 288 यात्री-संबंधी शिकायतें प्राप्त हुईं, प्रति 10,000 यात्रियों पर लगभग 0.23 शिकायतों की शिकायत दर थी। यह कम शिकायत और कैंसिलेशन दर ग्राहकों की संतुष्टि को प्राथमिकता देने और यात्रियों को विश्वसनीय और कुशल सेवाएं प्रदान करने के उद्योग के प्रयासों का एक प्रमाण है।
एविएशन सेक्टर में विकास की सराहना करते हुए, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि यह निरंतर वृद्धि सुरक्षित, कुशल और ग्राहक-केंद्रित विमानन को बढ़ावा देने में एयरलाइंस, हवाई अड्डों और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सामूहिक प्रयासों का प्रमाण है। अमृत काल में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भी भारत ऊंची उड़ान भर रहा है। आज, भारत, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू नागरिक उड्डयन बाजार है। देश में घरेलू यात्रियों की संख्या, 2014 में केवल 60 मिलियन थी अब दोगुनी होकर लगभग 145 मिलियन हो गई है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रियों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और यह संख्या केवल 23 मिलियन से बढ़कर 35 मिलियन से अधिक हो गई है। 2017 के बाद हवाई उड़ान एक विलासिता नहीं रह गई है। अब तो मध्यम वर्ग के लोग भी इसे आवश्यक सेवा मानते हैं क्योंकि यह सस्ती और आसान यात्रा बन गई है। इसमें कोई संदेह नहीं कि,” उड़ान योजना” ने लाखों लोगों को पहली बार उड़ान भरने वालों में जोड़कर भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र को एक लोकतांत्रिक रूप बना दिया है। हलांकि स्मॉल सिटी एविएशन एक्सपर्ट विश्वजीत कुमार की माने तो बिहार जैसे कुछ राज्य मौजूदा एविएशन मुवमेंट में राजनीतिक मतभेद और कमजोर इच्छाशक्ति के चलते पिछड़ रहे रहे हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण बिहार के पूर्णियाँ,भागलपुर और राजधानी पटना में एयरपोर्ट निर्माण विवादों में होना है। इसके अलावा, एविएशन सेक्टर में विकास , देश के छोटे शहरों में लाखों लोगों को रोजगार और व्यवसाय के अवसर भी प्रदान कर रहा है।
उड़ान योजना की शानदार सफलता के बाद, जिसने 27 अप्रैल 2017 को अपनी पहली उड़ान के लॉन्च के बाद से अपने बेहद सफल 5 साल पूरे कर लिए हैं, अब नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना- उड़ान का 5वां दौर शुरू किया है। इसका उद्देश्य देश के दूरदराज और क्षेत्रीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को और बढ़ाना और अंतिम मील कनेक्टिविटी हासिल करना है। पिछले पांच वर्षों में उड़ान ने क्षेत्रीय हवाई-कनेक्टिविटी में उल्लेखनीय वृद्धि की है। 2014 में 74 परिचालन हवाई अड्डे थे, अब यह संख्या बढ़कर 141 हो गई है। इस योजना के तहत 68 वंचित गंतव्यों को भी जोड़ा गया है, जिनमें 58 हवाई अड्डे, 8 हेलीपोर्ट और 2 जल हवाई अड्डे शामिल हैं। 425 नए मार्गों के साथ, उड़ान ने देश भर में 29 से अधिक राज्यों को हवाई कनेक्टिविटी प्रदान की है। अब एक करोड़ से ज्यादा यात्री इस योजना का लाभ उठा चुके हैं।
उड़ान योजना के तहत, देश में असंबद्ध गंतव्यों को हवाई कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 1000 मार्गों के साथ 220 गंतव्यों को 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। 156 हवाई अड्डों को जोड़ने के लिए 954 मार्ग पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं। निस्संदेह, उड़ान की सफलता ‘उड़े देश का आम नागरिक’ के दृष्टिकोण के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन है, जो विमानन उद्योग के बदलाव में एक अहम भूमिका निभा रही है। सरकार को उम्मीद है कि आने वाले 3-4 सालों में भारत में सिविल एविएशन के जरिए 40 करोड़ यात्री आएंगे।अब, UDAN 5.0, पुरानी योजना का नया और मजबूत संस्करण है।
UDAN 5.0 की प्रमुख विशेषताएं और भी अधिक आकर्षक हैं। उड़ान का नया दौर श्रेणी-2 पर केंद्रित है जिसमें 20-80 सीटें और श्रेणी-3 जिसमें 80 से कम सीटें शामिल हैं। पहले चरण की 600 किमी की लंबाई सीमा को भी हटा दिया गया है, और अब उड़ान के आरंभ और गंतव्य के बीच की दूरी पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अब वह दिन दूर नहीं जब रेल परिवहन और सड़क परिवहन के साथ-साथ नागरिक उड्डयन भी भारत में परिवहन का गढ़ बन जाएगा।