ग्राम गाड़ की बगड़ी में रमेश चंद्र बदुणी की धर्मपत्नी को बाघ ने निवाला बनाया
बाघ का आतंक और सरकार की नींद ,कब जागेगा वन विभाग?

#देवेश_आदमी
पोखड़ा व्लॉक चौबट्टा खाल विधानसभा क्षेत्र से दर्दनाक खबर आई है। ग्राम गाड़ की बगड़ी में श्री रमेश चंद्र बदुणी जी की धर्मपत्नी को बाघ ने निवाला बना लिया। यह कोई पहली घटना नहीं है रिखणीखाल, पोखड़ा, नैनीडांडा, पौड़ी हर जगह पहाड़ की यही कहानी दोहराई जा रही है। इंसान अपने खेत में, अपने आँगन में, यहाँ तक कि अपने दरवाज़े पर भी अब सुरक्षित नहीं है।
वन विभाग की लापरवाही अब भयावह रूप ले चुकी है। विभाग के अधिकारी सिर्फ फाइलों में “पेट्रोलिंग रिपोर्ट” और “शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व” के भाषणों तक सीमित हैं। जमीनी हकीकत यह है कि गाँवों में हर हफ्ते कोई न कोई बाघ, तेंदुआ या जंगली जानवर इंसान पर हमला कर रहा है, और विभाग केवल मुआवज़े की औपचारिकता निभाकर खुद को मुक्त समझता है।
सरकार “वन्यजीव संरक्षण” के नाम पर नियम तो बनाती है, मगर “मानव संरक्षण” की कोई ठोस नीति नहीं दिखती। बाघों की गिनती तो हर साल बढ़ाई जाती है, मगर पहाड़ के गाँवों में हर साल घटती है इंसानों की गिनती।
विधायक और मंत्री जनता की पीड़ा से दूर सत्संग, मंच और फोटो सेशन में मग्न हैं। चुनावी वक़्त में यही गाँव उनके लिए “जनता जनार्दन” होते हैं, और बाकी समय बस आँकड़ों का हिस्सा। क्या पहाड़ की औरतों की जान अब बस खबरों की सुर्खियाँ बनने भर रह गई है?
हर दिन किसी गाँव में मातम है, पर सरकार के कानों तक कोई आवाज़ नहीं पहुँचती। क्या किसी कानून का इंतज़ार है जो यह तय करे कि इंसान की जान की भी कोई कीमत है?
अब समय आ गया है कि सरकार और वन विभाग जागें।
बाघ प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल निगरानी चौकियाँ स्थापित हों।
हर हमले की जाँच में अधिकारी जवाबदेह हों।
प्रभावित परिवारों को केवल मुआवज़ा नहीं, सुरक्षा का अधिकार मिले।
और सबसे ज़रूरी ठोस कानून बने, जो इंसान और जानवर के बीच की इस असमान जंग को संतुलित करे।
पहाड़ की जनता अब डर नहीं, समाधान चाहती है।
क्योंकि अगर यही हाल रहा
तो एक दिन पहाड़ों में केवल जंगल रह जाएँगे,
ना इंसान, ना इंसानियत।
Woman tragically killed by a maneater in Pabo block , Forest department a mere SPECTATOR



