अब आ गया शिकंजा, शाम तक चूहे जी इसमें मेहमान होंगे.

अब आ गया शिकंजा.
शाम तक चूहे जी इसमें मेहमान होंगे.
दो दिन से उन्हें कमरे में घूमता देख मैं समझ गया था कि शत्रु ग्रह की मुखबरी पर बाहर निकाले गये गर्म कपड़ों को निशाना बनाने की फ़िराक़ में हैं.
इस चूहादानी को हासिल करने में अनेक दुकानों के चक्कर लगाने पड़े.
एक अप्रिय लेकिन रोचक घटना भी घट गई.
दस जगह पूछने के बाद मैंने गाड़ी सीनेटरी और हार्ड वेयर के शो रूम पर लगा दी.
प्रॉपराइटर जी झल्ला गये. बोले ये छिटर पटर चीज़ें आपको यहाँ मिलेंगी क्या?
मैंने विनम्रता से पूछा, फिर कहां मिलेगी, बता दीजिये. दस जगह हार कर आपके पास बड़ी आस लिए आया हूँ.
वह और झल्ला गये. बोले – इतनी बड़ी गाड़ी में घूम रहे हो, और यह नहीं पता कि कहां मिलेगी?
मैंने और अधिक ईसा मसीहाई तरीके से उत्तर दिया, गाड़ी का चूहेदानी की जानकारी से क्या मतलब?
वैसे मुझे तो यह भी नहीं पता कि जिस गाड़ी में मैं घूम रहा हूँ, उसका क्या नाम है, और किसकी है?
क्या मतलब? वह मेरी ओर संदेह से देखते हुए बोला, चुराई है क्या?
अब मैंने अपना गुरुडम दिखाते हुए प्रति प्रश्न किया – तुम इतनी बड़ी धरती पर घूम रहे हो. क्या तुम्हें पता है कि यह किसकी है?
क्या चोरी की ज़मीन पर घूम रहे हो?
वह अपने काम में लग गया.
मैंने सख्ती से पूछा, जवाब दो.
उसने हाथ जोड़ लिए और कहीं फ़ोन कर मुझे बताया कि यहाँ मिलेगी
अब शाम को मैं सर्वेश्वर दयाल सक्सेना को याद करूंगा

” चूहा है बिल में, बड़ी मुश्किल में
चूहे का बच्चा चूहेदानी में
छोटा सा मुखड़ा, खाने गया था
रोटी का टुकड़ा
यूँ फंस गया नादानी में
चूहे का बच्चा चूहेदानी में “

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