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Uttrakhand

अगर अभी नहीं तो कभी नहीं. उत्तराखंड में बढ़ते तापमान के बाद जागरूकता पैदा करने के लिए देहरादून के सैकड़ों नागरिक एकजुट हुए

लोग शहर और पूरे #उत्तराखंड में सरकार और सिस्टम की हरित विरोधी नीतियों से तंग आ चुके हैं।

अगर अभी नहीं तो कभी नहीं. उत्तराखंड में बढ़ते तापमान के बाद जागरूकता पैदा करने के लिए देहरादून के सैकड़ों नागरिक एकजुट हुए
लोग शहर और पूरे #उत्तराखंड में सरकार और सिस्टम की हरित विरोधी नीतियों से तंग आ चुके हैं।

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों, खासकर राज्य की राजधानी और यहां तक ​​कि मसूरी, लैंसडाउन, नैनीताल और पौरी आदि जैसे हिल स्टेशनों पर पिछले कई दशकों के दौरान पहले कभी नहीं बढ़े तापमान ने लोगों को आखिरकार अपनी आवाज उठाने के लिए आगे आने के लिए कमर कसने के लिए मजबूर कर दिया है। हरियाली बढ़ाने और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के लिए एकजुट होना, क्योंकि यह कल्पना की गई है कि गर्मियों के दौरान शहरों और महानगरों से देहरादून और हिल स्टेशनों पर बड़े पैमाने पर आबादी का प्रवास होता है और यहां तक ​​​​कि उनमें से अधिकांश स्थायी रूप से यहां बस जाते हैं, जिससे बिल्डरों को गगनचुंबी इमारतों का निर्माण करने में मदद मिलती है, बल्कि कंक्रीट के जंगल वास्तव में बन गए हैं। जिसके कारण गर्मियों के दौरान उत्तराखंड के शहर उबलने लगे, जिससे लोगों का जीवन वास्तव में नरक बन गया। इस गर्मी में बड़े पैमाने पर जंगल की आग के कारण 15 हजार हेक्टेयर से अधिक जंगल, इसकी वनस्पतियां और जीव-जंतु नष्ट हो गए, जिससे बढ़ते तापमान ने न केवल पर्यटकों की बल्कि उत्तराखंड हिमालय में रहने वाले लोगों की परेशानियां भी बढ़ा दी हैं, जिन्होंने पहले कभी इतनी भीषण गर्मी का अनुभव नहीं किया था। यह बेहद चिंताजनक लगता है कि जहां राज्य की राजधानी देहरादून में इस गर्मी के दौरान तापमान 42 से 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, वहीं लैंसडाउन और पौडी के हिल स्टेशनों में 38 डिग्री सेल्सियस तक तापमान दर्ज किया गया है, श्रीनगर और कोटद्वार जैसे शहरों/कस्बों की तो बात ही छोड़िए, तापमान 43 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा हुआ है। सेल्शियस डिग्री में 46 या इससे भी अधिक तापमान तक। अगर कोई देहरादून में AQI के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह आज 79 और दिल्ली में 188 है, सर्दियों के दौरान तो बात ही छोड़ दें, जब दिल्ली में यह 400 और देहरादून में केवल 40 तक पहुंच जाता है। मुख्य रूप से यही कारण है जिसने लोगों को पलायन करने के लिए प्रेरित किया है। देहरादून में बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित बिल्डर आ रहे हैं और कई गगनचुंबी इमारतों का निर्माण कर रहे हैं, बल्कि कंक्रीट के जंगलों के साथ पेड़ों को बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है जो हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी को खराब कर रहे हैं। इस कड़वे तथ्य के बावजूद कि सभी मौसम वाली सड़कों और ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक विशाल (125 किलोमीटर लंबी) रेल परियोजना के निर्माण और चौड़ीकरण के दौरान लाखों पेड़ काटे जाने की खबरें हैं, जिसमें 75% से अधिक सुरंगों के कारण पहाड़ियाँ अंदर से खोखली हो गई हैं। उत्तराखंड ज़ोन 5 के अंतर्गत आता है, जो विवर्तनिक उथल-पुथल, भूकंप और पारिस्थितिक आपदाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील है।
ग्लोबल वार्मिंग और देहरादून तथा उत्तराखंड के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर इमारतों के निर्माण और बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के कारण अत्यधिक बढ़ते तापमान से चिंतित होकर, देहरादून के बुद्धिजीवी, छात्र, युवा और साक्षर लोग सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून के तत्वावधान में आगे आए हैं। देहरादून शहर के दिलाराम चौक से मुख्यमंत्री आवास तक रोड चौडीकरण के दौरान काटे जाने वाले 244 वृक्षों को बचाने और दून घाटी के पर्यावरण को बचाने के लिए यह विशाल जन जागरूकता अभियान चलाया, आने वाले बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय क्षरण और लोगों के जीवन को गंभीर खतरे से मानवता और सभ्यता को बचाने के लिए। हरित पर्यावरण के प्रति उनके जागृत दृष्टिकोण की अगली कड़ी के रूप में, आज #देहरादून में पर्यावरण बचाओ वॉक/आंदोलन में सैकड़ों नागरिकों ने पर्यावरण उन्नयन के प्रति जागरूकता पैदा करते हुए एकजुट होकर मार्च किया। शहर में इस तरह का जमावड़ा पहले कभी नहीं देखा गया। लोग शहर और पूरे #उत्तराखंड में सरकार और सिस्टम की हरित विरोधी नीतियों से तंग आ चुके हैं। आज की सभा इस गंभीर माहौल में एक आशा की किरण है।

आज क्या दिन है. टीम सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून (सीएफजीडी), सभी स्वयंसेवकों और हम सभी जो बड़ी संख्या में वहां मौजूद थे, का शानदार प्रयास। आशा है कि हम इस पर और अधिक मजबूती से काम करना जारी रखेंगे। एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा, हम सभी के लिए शुभकामनाएं।

देहरादून शहर के दिलाराम चौक से मुख्यमंत्री आवास तक रोड चौडीकरण के दौरान काटे जाने वाले 244 वृक्षों को बचाने और दून घाटी के पर्यावरण को बचाने के लिए यह विशाल जन जागरूकता अभियान चलाया था. आज सुबह 7 बजे पदयात्रा शुरू होने से पहले सिटीजंस फॉर ग्रीन दून के हिमांशु अरोडा ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि, पर्यावरण बचाओ आांदोलन /पदयात्रा हमारे नेताओं और नीति निर्माताओं को समग्र रूप से जागरूक करने का एक सामूहिक प्रयास है. साथ ही आम जनमानस को सामान्य रूप से जागरूक करने का भी प्रयास है ! साथ ही यह देहरादून घटी के पर्यवरण को सुरक्षित राकहने और बचाने के लिए एक जंग जागरूकता अभियान के रूप में शुरू किया गया है!
यहाँ यह भी कहना जरूरी है की – दून घटी का जनमानस – पर्यवरण, जल्संसधनों की बर्बादी , के साथ साथ हमारे एनी प्राकृतिक संसाधनों को नुक्सान पहुंचा कर आया उन्हें क्षति पहुंचकर विकास नहीं चाहता है ! बल्कि विकास की प्रकिरिया मैं आम जनमानसके हितों और पर्यवरण का ध्यान रखना अनिवार्य होगा ! इसलिए उत्तराखंड के मूल निवासियों के हितों और सुझावों के आधार पर ही विकास होना चाहिए – ना की, ऐसे लोग हमारे राज्य के विकास का सुझाव दें जिनका इस राज्य की मूल भावना से कोई लेना देना नहीं है !
जनता सतत और स्थाई विकास चाहती है। डॉ. रवि चोपडा, जगमोहन मेहंदी रत्ता, विजय भट्ट, अनूप नौटियाल , ईरा चौहान, हिमांशु अरोड़ा, तन्मय ममगाईं , हिमांशु चौहान, अभिजय नेगी , जया सिंह, श्रीमती कमला पन्त ने भी अपनी बात जनता के सामने रखी।
यही नहीं आज के समूह ने – बल्लुपुर से पांवटा साहिब, आशारोडी से झाझरा, भानियावाला से ऋषिकेश और सुद्दोवाला से मसूरी के लिए बनने वाले मार्गों पर काटे जाने वाले हजारों पेड़ पौधों को बचाने का आह्वाहन किया !
आज के इस जनजागरूकता कार्यक्रम में जयदीप सकलानी और सतीश धौलाखंडी ने जनगीत गाये. मैड संस्था , पराशक्ति और स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया, पराशस्ति, आगाज़ फैडरेशन, यूथ क्लब के सदस्यों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किये और नाटकों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के सन्देश दिए !
कार्यक्रम के अंतिम चरण में – ऋतू चटर्जी ने पर्यावरण सुरक्षा की शपथ दिलवाई ! कार्यक्रम का सञ्चालन ईरा चौहान ने किया ।कार्यक्रम में- आर टी आइ क्लब देहरादून ,सिटीजंस फॉर ग्रीन दून, दून सिटिजन फोरम, फ्रेंड्स ऑफ़ दून , संयुक्त नागरिक संगठन, एसएफआई, एस डी सी , धाद, बी टी डी टी , आर्यन ग्रुप के फैजी अलीम, अनीश लाल, रूचि सिंह राव, नेचर्स बड़ी, जे पी मैठाणी, हैरी, हिमांशु चौहान और शहर के कई वरिष्ठ नागरिकों और संगठनों ने भाग लिया !

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