अंकिता भंडारी मामले में वी आई पी कौन है पर भाजपा को खरी खोटी सुनायी हरीश रावत ने
वायरल वीडियो से घिरे करण महरा अब मौन व्रत से प्रायश्चित करने जा रहे हैं. एक बयान के बाद मचे बवाल पर राजनीति भी हावी हो गई है. वहीं, पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी इस मुद्दे पर पहली बार टिप्पणी की है. हरीश रावत ने बीजेपी पर निशाना साधा है और करण माहरा के खिलाफ सीबीआई लगाने की धमकी भी दी है. पूर्व सीएम हरीश रावत खुलकर करण माहरा के समर्थन और बचाव में उतर आए हैं।
हरीश रावत ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है : भाजपा के दोस्तो, आप दुष्प्रचार में प्रकांड विद्वान हो !! श्री करन महारा ने शब्द चयन में त्रुटी की है, हमारे या उत्तराखंड शब्द कहने के बजाय गढ़वाल शब्द का उपयोग कर दिया और आपको मौका मिल गया। आप दनादन लाठी चलाने लगे, आप तो बिना अपराध किए भी दंड दिलवाने में माहिर हो। अर्थ का अनर्थ करने की कला को तो श्री राहुल गांधी जी के मामले में सारा देश देख चुका है। श्री राहुल जी ने इतना ही तो कहा कि 2014 से देश की पूंजी लेकर विदेश भागने वालों के नाम के पीछे मोदी शब्द ही क्यों जुड़ा है! जब कभी एक के बाद एक रावत सर नेम वालों का नाम किसी अप्रिय प्रसंग में आता है तो लोग हमसे भी पूछते हैं कि हरीश रावत जी क्या बात है, रावत में ही क्यों गड़बड़ हो रही है ? यह तो सामान्य बातचीत का प्रचलन है और आपने राहुल गांधी जी की संसदीय सदस्यता समाप्त करवा दी व सजा करवा दी और घर में डकैती मेरी पड़ी, विधायक खरीद या लूट के केंद्र सरकार लेकर गई और मुकदमा भी मेरे ऊपर, सीबीआई भी मेरे ऊपर। आपके पास सीबीआई है, श्री करन माहरा के ऊपर सीबीआई लगा दीजिए, क्योंकि अंकिता भण्डारी प्रकरण में दोषी #VIP को खोजने में तो आप सीबीआई लगाएंगे नहीं, करन माहरा के मामले में खूब हल्ला मचाइये। मगर अंकिता के प्रकरण में आपको उत्तराखंड बचने नहीं देगा, क्योंकि अब भी हमारे खून में इतनी गर्मी है। उत्तराखंड आपसे यह जानना चाहता है कि अंकिता भंडारी जो वनंतरा रिजॉर्ट भाजपा के मूर्धन्य नेता का रिजॉर्ट था, उसमें रिसेप्शनिस्ट थी, उसको किस वीआईपी की विशेष सेवा के लिए कहा जा रहा था ? क्योंकि मृत्यु से पहले का यह कथन अंकिता के व्हाट्सएप में है, तो आखिर वह वीआईपी कौन ? जिस वीआईपी को बचाने के लिए वनंतरा रिजॉर्ट में बुल्डोजर फिरा दिया गया। जब भी साक्ष्य बचे रहने की संभावनाएं हुई तो उससे लगे हुए उपकर्म में आग लगा दी गई, रिजॉर्ट सहित चारों तरफ के सीसीटीवी कैमरा फोड़ दिए गए, साक्ष्य मिटाना तो अपराध है। यदि साक्ष्य मिटाने वालों के नाम आपको मालूम हैं तो उनको क्यों नहीं अंकिता हत्याकांड में सह अभियुक्त बनाया गया ? क्या उत्तराखंड इतना ना समझ है कि नहीं समझ पा रहा है कि अंकिता की बॉडी एक नहर से रिकवर करने में 5-6 दिन क्यों लगे ? और मोबाइल को रिकवर करने में 7-8 दिन क्यों लगे? क्यों पोस्ट मार्टम के वक्त में महिला डॉक्टर को नहीं रखा गया ? जबकि सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्दश है। आप उस वीआईपी का नाम सामने लाइए और श्री करन माहरा जी के खिलाफ आप जो भी कहना चाहते हैं, आप खूब कहिए वह आपके राजनीतिक प्रतिद्वंदी हैं और उनमें शक्ति होगी तो आपके दुष्प्रचार का जवाब देंगे। मगर वीआईपी का नाम सामने लाइए, वो व्यक्ति हमारे बेटी के स्वाभिमान का हत्यारा है। मगर उत्तराखंड के प्रबुद्ध जनता आपको अंकिता भंडारी हत्याकांड की जवाब देह से मुक्त नहीं होने देगी।