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अंकिता भंडारी मर्डर केस : क्यों न हो CBI जांच

पार्थसारथि थपलियाल
लेखक, चिंतक एवं स्वतंत्र पत्रकार।

सितंबर 2022 में श्रीनगर (गढ़वाल) के निकटवर्ती गांव की एक होनहार लड़की जिसनें गरीबी के साथ संघर्ष करते हुए अपने माँ बाप के सपनों को साकार करने के लिए अपनी पढ़ाई व प्रशिक्षण के बाद ऋषिकेश स्थित एक रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की जॉब स्वीकार की। जॉब लगने के कुछ ही बाद अंकिता रिजॉर्ट की कुव्यवस्थाओं का शिकार बनी, अंकिता की हत्या कर दी गयी। शुरू में इस हत्या की सभी ने भीगी आंखों से आलोचना की और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। आंखों की नमी सूखते ही रसूखदारी के प्रभाव दिखाई देने लगे। जैसे ही इस प्रकरण में राजनीति के नाम पर धंधा करने वाले (कुख्यात) लोगों के नाम उभरने लगे, जांच का भरोसा दिलाने वाले गायब होते गए।
देवभूमि का यह संस्कार तो नही है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद देवभूमि से देवता नदारद होने लगे हैं। देवभूमि में अत्याचारी, अनैतिक, राक्षसी प्रवृति के लोगों का बोलबाला हो गया है। जिस रिजॉर्ट में अनैतिक धंधे चल रहे थे उससे संबंधित जिन लोगों की गिरफ्तारी की मांग अंकिता भंडारी के माता पिता श्रीनगर में आंदोलन के माध्यम से कर रहे हैं, उनकी बात उत्तराखंड सरकार क्यों नही सुन रही है? अंकिता भंडारी के माता पिता अगर सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं, तो इस मांग को सरकार स्वीकार क्यों नही कर रही है। अगर अपराधी किसी पार्टी विशेष का ही है तो उसे बचाकर क्या सरकार अन्याय नही कर रही है? क्या उत्तराखंड सरकार बाहुबलियों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने साहसिक निर्णयों के लिए लोकप्रिय हो रहे हैं। सिलक्यारा टनल प्रकरण में उनकी गतिशीलता और हल्द्वानी हिंसा प्रकरण में उनकी त्वरितता की सभी लोग सराहना कर रहे हैं।
अंकिता मर्डर केस में जन आंदोलन को समर्थन देने वाले पत्रकार आशुतोष नेगी, दीपक मैठाणी व अन्य को गिरफ्तार करना इसलिए उचित नही है क्योंकि पत्रकार अंकिता भंडारी के पीड़ित माता पिता के दर्द को महसूस कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार को अन्य प्रदेशों की सरकारों की तरह व्यवहार नही करना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह आहत को राहत पहुंचाए। अगर वीआईपी व्यक्ति अपराधी नही है तो न्यायालय से ससम्मान बरी हो जाएगा और यदि दोष सिद्ध होता है तो उसका समर्थन किसी को भी भारी पड़ेगा। आम जनता वक्तव्यों की बजाय इरादों को बेहतर समझती है। अंकिता मर्डर केस में सरकार के ढुलमुल रही नीति से सरकार की छवि धूमिल तो हुई है।
धामी सरकार पत्रकारों को रिहा करे और अंकिता भंडारी के माता पिता की सीबीआई से प्रकरण की जांच करवाने के आदेश जारी करे।

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