अंकिता भंडारी जघन्य हत्याकांड के विरोध और सी बी आई जांच की मांग के समर्थन में प्रदर्शन और कैंडल मार्च जंतर मंतर पर
कल समाज के सभी वर्गों और राजधानी दिल्ली में रह रहे उत्तराखंड भाई बहनों ने जंतर मंतर और गढ़वाल भवन पहुँच कर श्रीकोट गाँव , पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी की जघन्य हत्या के विरोध में जोरदार धरना एवं प्रदर्शन किया और कैंडल मार्च निकाल कर अपना रोष प्रकट किया. भारी संख्या में दिल्ली के कोने कोने से आई महिलाओं पुरुषों छात्रों और नौजवानों ने उत्तराखंड और केंद्र में आरूढ़ सरकारों और नेताओं के विरुद्ध जमकर नारेबाजी कर अपना दुःख और विरोध प्रकट किया और १९ वर्षीया बेटी अंकिता के दुर्दांत हत्याकांड के लिए दरिंदों की फ़ास्ट ट्रैक के जरिये मौत की सज़ा की मांग की गयी.
प्रदर्शनकारी जनता ने सी बी आई की जांच के साथ साथ पीड़ित और कुंठित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने के साथ साथ एक करोड़ रुपये के आर्थिक मुआवजे की मांग की और साथ साथ उत्तराखंड सरकार द्वारा घोषित २५ लाख रुपये के मुआवजे को नाकाफी बताया .
उत्तराखंड पत्रकार फोरम के अध्यक्ष सुनील नेगी , आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और प्रभारी उत्तराखंड प्रकोष्ट हरीश अवस्थी , आप उत्तराखंड प्रकोष्ट के संयोजक एवं अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती, रौशनी चमोली, प्रेमा धोनी , वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी , कांग्रेसी नेता हरिपाल रावत , गढ़वाल हितेषिणी सभा के अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट , गीता रावत, विनोद नगर से नगर निगम पार्षद , आप के देवेंद्र बिष्ट पृथ्वी रावत , विनोद बच्चेति , सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका बिना नयाल , ललित प्रसाद ढौंडियाल , महावीर सिंह राणा , मदनमोहन ढौंडियाल , पंचम सिंह रावत , कुसुम कंडवाल भट्ट , चाइल्ड एक्टिविस्ट , इंदू गुसाईं आदि ने अपने सम्बोधन के दौरान उत्तराखंड की मौजूदा भाजपा सर्कार , प्रसाशन और रेवेन्यू पुलिस पर लापरवाही, घोर, उदासीनता,अक्षमता और महिला सुरक्षा के मोर्चे पर पूरी तरह लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तराखंड के एक सांसद तीरथ सिंह रावत के सिवाय कोई सांसद और केंद्रीय मंत्री व विधायक न तो पीड़ित परिवार से मिलने ही गया न इस जघन्य हत्याकांड पर उन्होंने अक्षम शासन की भर्त्सना की .
सभी ने इस जघन्य हत्याकांड पर गहरा शोक प्रकट करते हुए कहा की दुःख की बात है कि उत्तराखंड सरकार ने मृतक बेटी की कीमत मात्र २५ लाख रुपये लगायी. जबकि दिल्ली सर्कार ने कोविड के दौरान मृतकों को एक एक करोड़ रुपये बतौर आर्थिक मदद दी .
उन्होंने २०१२ के जघन्य वसंत विहार और नजफगढ़ की दामिनी हत्याकांड का हवाला देते हुए कहा कि जिस प्रकार उनके क्रूर दरिंदो को फँसी की सजा दी गयी उसी प्रकार अंकिता के हत्यारों को भी फांसी पर लटकाया जाय. सही अर्थों में तभी माजूदा सरकार का बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान सार्थक हो सकेगा कहा प्रदर्शनकारियों ने .
इन सभी संगठनों (भू संघर्ष समित , आम आदमी पार्टी गढ़वाल सभा , उत्तराखंड पत्रकार फोरम और अन्य संस्थाओं ) ने त्वरित गति से इसे फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिये अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचाने की अपील की. उन्होंने जोर एकर कहा की एसटीएफ जांच नाकाफी है इसकी सी बी आयी जांच होनी चाहिए . सभी प्रदर्शकारी हाथ में प्लेकार्ड्स लिए हुए थे जिनमे लिखा था : अंकिता भंडारी को न्याय दो , अंकित बेटी हम शर्मिंदा हैं , तेरे कातिल जिन्दा हैं , जस्टिस फॉर अंकिता भंडारी आदि. तीनो प्रदर्शन , कैंडल मार्च एक ही दिन हुए , जंतर मंतर और गढ़वाल भवन में.
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार एवं आन्दोलनकारी सुनील नेगी , वरिष्ठ नेता हरीश अवस्थी,और बृजमोहन उप्रेती ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी से मांग की है की जागो उत्तराखंड और पर्वत जन के पत्रकारों को मिल रही जान से मारने की धमकियों को अत्यंत गंभीरता से लिया जाय और इस कुकृत्य के लिए जिम्मेदार अपराधियों को क़ानून के शिकंजे में जकड़ा जाए.
गढ़वाल भवन शोक सभा का सञ्चालन आज़ाद नेगी ने किया.
सुनील नेगी, अध्यक्ष, उत्तराखंड पत्रकार फोरम
Strictest punishment must be given to such monsters
The real fact is that a lot of people were ‘enjoying ‘ the resort knowingly and now that the entire crime is out in public , they are behaving strangers and protesting.
Girls parents were also enjoying the money she earned till the worst happened. Were they now aware of the prostitution business going on ? Or they didnt mind their daughter into it till she died ? Why would an ordinary class girl go with the rich effluent owner in remote place ? There is more to it. Only a proper investigation will open a can of worms about both the sides
And this timepass candle marches and selective ‘Rudaalis’ who wake up one time and go into hibernation when their own people/ agenda get caught have become irrelevant in the world today.
Sadly this march IS NOT FOR SOCIAL CAUSE OR CONCERN FOR VICTIMS but rather based on political strategies to earn an extra mile in election
Good that the BJP fellow has been expelled unlike congress and communists who reward their leaders with better political posts
Time for BJP to scrutinize all the serving members and expel the criminals. Also i suggest that ruling party stop importing scrap n garbage of other political parties and give tickets to only hardworking grassroot workers